जमाना माने मुझे कुछ भी मगर
जमाना माने मुझे कुछ भी मगर, तू मुझको अपना यार मानने तो दे एकतरफ़ा प्यार में मेरी इज़्ज़त नही घटती, तू मुझको अपना इश्क़ निभाने तो दे जोगी बन बैठा हूँ मैं कब से तेरा, तू मुझको आज अपनी चलाने तो दे मुझको बस एक ख़याल की तरह, कुछ देर अपने जहन में आने तो दे मैं तब से सिर्फ एक दीदार को तरसा हूँ, इस प्यासे को अपनी प्यास भुजाने तो दे तेरे दिल में आज, चाहे बेमतलब ही सही, मुझे इन 'लफ़्ज़ों' को जरा सजाने तो दे