मैं देख सभी को सकता हूँ
मैं देख सभी को सकता हूँ, मैं सुन सभी की लेता हूँ मैं गौर सभी पे करता हूँ मैं तौर सभी का सहता हूँ मैं देखना तुम्ही को चाहता हूँ, मैं सुनना तुम्ही को चाहता हूं मेरी नज़र हटे ना तुमसे, बैठी रहो चाहे कुछ दूर मुझसे मैं तुम्हारी निगाहों के इंतजार में रहूंगा हाज़िर, तुम भले ही कुछ बरस रूठ जाओ मुझसे मेरे 'लफ्ज़' तुम्ही से मुक़म्मल (complete) हैं, मेरे शेर तुम्ही से मुसलसल (linked) हैं तुम हो तो मैं शायरों में ग़ालिब, गर धड़कन से जो निकल गईं, फिर लिखना नही चाहता हूँ मैं देख सभी को सकता हूँ, मैं सुन सभी की लेता हूँ