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मैं देख सभी को सकता हूँ

मैं देख सभी को सकता हूँ, मैं सुन सभी की लेता हूँ मैं गौर सभी पे करता हूँ मैं तौर सभी का सहता हूँ मैं देखना तुम्ही को चाहता हूँ, मैं सुनना तुम्ही को चाहता हूं मेरी नज़र हटे ना तुमसे, बैठी रहो चाहे कुछ दूर मुझसे मैं तुम्हारी निगाहों के इंतजार में रहूंगा हाज़िर, तुम भले ही कुछ बरस रूठ जाओ मुझसे मेरे 'लफ्ज़' तुम्ही से मुक़म्मल (complete) हैं, मेरे शेर तुम्ही से मुसलसल (linked) हैं तुम हो तो मैं शायरों में ग़ालिब, गर धड़कन से जो निकल गईं, फिर लिखना नही चाहता हूँ मैं देख सभी को सकता हूँ, मैं सुन सभी की लेता हूँ

आज भी

वक्त गुजरता है, गुजरते लोग कई करीब से, पर उनके गुजर जाने का इंतजार आज भी है मुश्किल में हैं वो, परेशान भी वक्त बहुत किये हैं उन्हें, पर उनकी खुशहाल जिंदगी का इत्मिनान मुझे आज भी है

जमाना माने मुझे कुछ भी मगर

जमाना माने मुझे कुछ भी मगर, तू मुझको अपना यार मानने तो दे एकतरफ़ा प्यार में मेरी इज़्ज़त नही घटती, तू मुझको अपना इश्क़ निभाने तो दे जोगी बन बैठा हूँ मैं कब से तेरा, तू मुझको आज अपनी चलाने तो दे मुझको बस एक ख़याल की तरह, कुछ देर अपने जहन में आने तो दे मैं तब से सिर्फ एक दीदार को तरसा हूँ, इस प्यासे को अपनी प्यास भुजाने तो दे तेरे दिल में आज, चाहे बेमतलब ही सही, मुझे इन 'लफ़्ज़ों' को जरा सजाने तो दे

बारिश

वो बारिश का मौसम था शहर में, कुछ वो भीगे थे कुछ नम थे हम भी सड़कों पर जाम लगा लंबे - लंबे, कुछ गलती उनसे हुई, कुछ बेकाबू थे हम भी

सफर

सफर पर वही कश्तियां निकलती हैं, जिनके लिए हवाएं भी तेज चलती हैं सोच कर, हमनें भी किया था एक जहाज तैयार, लेकिन कम्बख़्त अब लहरें भी खामोश निकलती हैं यूँ शोर में 'लफ्ज़' है ख़ामोश तो कमजोर ना समझना, ये फितरत है मेरी, जो तूफ़ानो की राह बदलती है

चल मेरे संग चल

चल मेरे संग चल, चल संग मेरे कहीं निकल तेरे संग हो न हो ज़िन्दगी, संग तेरे जीना है ये पल होती होगी किसी को आशिक़ी, मुझको तो है तेरी दिलकशी चल मेरे संग चल, राहें और भी मंजिले हैं दूर ...

देख लेने दे जी भर के

देख लेने दे जी भर के उसकी तस्वीर को मुझे, वादा किया है उससे की संभाल के रखूँगा नही घूर लेने दे उसकी निगाहों को मुझे कम से कम उसकी तस्वीर तो मुझसे खफा नही